मध्यम मध्यम बारिश!!

हो रही थी मध्यम मध्यम बारिश,
करी मैंने इंद्र देव से एक सिफारिश।।
के यूँही ये बादल गरजता रहे,
यूँही ये सावन बरसता रहे।।
नदियों का पानी इसी वेग से बहता रहे,
बंजर भूमी को यूँही सुख मिलता रहे।।
पूरी हो उस सुखे पेङ की ख्वाहिश,
होती रहे एसी मध्यम मध्यम बारिश।।
हरे भरे नए पत्तों से मेरा आंगन सजा रहे,
मिट्टी की सुगंध सा ये जीवन महेकता रहे।।
बारिश का मधुर गीत यूँही कानों में घुलता रहे,
ठंडी हवा का झोंका यूँही बहता रहे।।
करी मैंने इंद्र देव से एक सिफारिश,
होती रहे यूँही ये मध्यम मध्यम बारिश।।

कवि (written by),
K.C.
Team The Vichar Vimarsh..

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